अछूते जंगलों में भी कीटों की संख्या में गिरावट

हाल के दशक में कीटनाशकों के उपयोग, कीटों के आवास स्थलों के विनाश जैसी मानव गतिविधियों के कारण कीटों की संख्या में काफी गिरावट हुई है। लेकिन एक अध्ययन में पाया गया है कि कुछ मधुमक्खियों और तितलियों की संख्या में कमी उन जगहों पर भी हुई है, जो सीधे तौर पर इन्सानों से अछूती हैं।

देखा गया है कि पिछले 15 सालों में, दक्षिण-पूर्वी यूएस के एक जंगल में मधुमक्खियों की आबादी में 62.5 प्रतिशत की और तितलियों की आबादी में 57.6 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अलावा, मधुमक्खियों की प्रजातियों की संख्या (विविधता) में भी 39 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

करंट बायोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ओकोनी राष्ट्रीय वन के तीन जंगलों में वर्ष 2007 से 2022 के बीच पांच बार कीटों का सर्वेक्षण किया था। इन जंगलों में मनुष्यों की आवाजाही अपेक्षाकृत कम थी और यहां चीनी प्रिवेट जैसे घुसपैठिए पौधे भी नहीं थे।

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन यहां मधुमक्खियों और तितलियों के अस्तित्व को खतरे में डाल रहा है। गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन और गर्माती धरती के पीछे भी मनुष्य का ही हाथ है। इसके अलावा, एक संदेह घुसपैठिए कीटों पर भी है, खासकर स्माल कारपेंटर मधुमक्खियों और पत्तियां कुतरने वाली मधुमक्खियों की संख्या में गिरावट के लिए ये कीट ज़िम्मेदार हो सकते हैं।

शोधकर्ताओं के अनुसार, यही प्रजातियां सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। इसका संभावित कारण हो सकता है कि या तो लकड़ी पर छत्ता बनाने वाली और पत्ती कुतरने वाली घुसपैठी मधुमक्खियों ने इन मधुमक्खियों को उनकी जगह से खदेड़ दिया होगा, या उनके छत्ते उन्हें बढ़ते तापमान से बचा नहीं पाए होंगे। बहरहाल, कारण जो भी हो, स्थिति चिंताजनक है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adh4751/full/_20230306_on_bee_decline.jpg

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