बोरॉन ईंधन संलयन के आशाजनक परिणाम

हाल ही में शोधकर्ताओं ने एक वैकल्पिक ईंधन मिश्रण का रिएक्टर में संलयन किया है। इस तकनीक से संलयन आधारित बिजली संयंत्रों को, पारंपरिक ईंधन इस्तेमाल करने वाले संलयन संयंत्रों की तुलना में अधिक सुरक्षित और संचालन में आसान बनाया सकता है।

गौरतलब है कि अधिकांश प्रायोगिक संलयन रिएक्टर हाइड्रोजन के समस्थानिकों (ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) का उपयोग करते हैं। लेकिन ट्रिटियम दुर्लभ है, और इस ईंधन सम्मिश्र का उपयोग करने से उच्च-ऊर्जायुक्त न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं जो मनुष्यों के लिए खतरनाक हैं और रिएक्टर की दीवारों और अवयवों को नुकसान पहुंचाते हैं।

इसकी बजाय प्रोटॉन और बोरॉन से बना वैकल्पिक ईंधन मिश्रण कोई न्यूट्रॉन उत्पन्न नहीं करता है और केवल हानिरहित हीलियम पैदा करता है। लेकिन इसको जलने के लिए 3 अरब डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है जो सूर्य के केंद्रीय भाग के ताप से 200 गुना अधिक है।

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में जापान में एक पारंपरिक संलयन रिएक्टर में अपेक्षाकृत कम तापमान पर संलयन की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया है। इस प्रक्रिया में कणों के एक शक्तिशाली पुंज की मदद से प्रोटॉन्स को गति देकर अभिक्रिया शुरू करवाई गई। वैसे अभी यह व्यावहारिक होने से कोसों दूर है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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