चंद्रमा पर उतरने का निजी प्रयास विफल

टोक्यो की एक निजी कंपनी आईस्पेस द्वारा हुकाटो-आर मिशन (एम-1) नामक पहला व्यावसायिक ल्यूनर मिशन 11 दिसंबर 2022 को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था। 21 मार्च को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। 25 अप्रैल को इसके लैंडर को चंद्रमा की सतह पर उतरना था, लेकिन कुछ तकनीकी समस्या के कारण यह मिशन विफल हो गया। चंद्रमा की सतह से लगभग 90 मीटर ऊपर लैंडर से पृथ्वी का संपर्क टूट गया और नियोजित लैंडिंग के बाद दोबारा संचार स्थापित नहीं हो पाया। संभावना है कि एम-1 लैंडर उतरते वक्त क्रैश हो गया। फिलहाल पूरे घटनाक्रम की जांच जारी है।

गौरतलब है कि 2.3 मीटर लंबा लैंडर सतह पर उतरने के अंतिम चरण में खड़ी स्थिति में था लेकिन इसमें ईंधन काफी कम बचा था। लैंडर से प्राप्त आखरी सूचना से पता चलता है कि चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ते हुए यान की रफ्तार बढ़ गई थी। किसी भी लैंडर के लिए यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसमें लंबवत रूप से उतरते समय इंजन चालू रखे जाते हैं ताकि वह गुरुत्वाकर्षण के कारण सतह से तेज़ रफ्तार से न टकराए।            

आईस्पेस टीम के प्रमुख टेक्नॉलॉजी अधिकारी रयो उजी बताते हैं कि सतह पर उतरने के अंतिम चरण में ऊंचाईमापी उपकरण ने शून्य ऊंचाई का संकेत दिया था यानी उसके हिसाब से लैंडर चांद की धरती पर पहुंच चुका था। जबकि यान सतह से काफी ऊपर था। ऐसी भी संभावना है कि लैंडर के नीचे उतरते हुए यान का ईंधन खत्म हो गया और गति में वृद्धि होती गई। टीम अभी भी यह जानने का प्रयास कर रही है कि अनुमानित और वास्तविक ऊंचाई के बीच अंतर के क्या कारण हो सकते हैं। इस तरह के यानों में विशेष सेंसर लगाए जाते हैं जो लैंडर और सतह के बीच की दूरी को मापते हैं और उसी हिसाब से लैंडर नीचे उतरता है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन सेंसरों में कोई गड़बड़ी हुई या सॉफ्टवेयर में कोई समस्या थी।

लैंडर के क्रैश होने के कारण उस पर भेजे गए कई उपकरण भी नष्ट हो गए हैं। जैसे संयुक्त अरब अमीरात का 50 सेंटीमीटर लंबा राशिद रोवर जिसका उद्देश्य चंद्रमा की मिट्टी के कणों का अध्ययन और सतह के भूगर्भीय गुणों की जांच करना था; जापानी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा विकसित एक दो-पहिया रोबोट; और कनाडा की कनाडेन्सिस एयरोस्पेस द्वारा निर्मित एक मल्टी-कैमरा सिस्टम।

मिशन की विफलता के जो भी कारण रहे हों लेकिन यह साफ है कि चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग काफी चुनौतीपूर्ण है। फिर भी इस लैंडिंग प्रक्रिया के दौरान प्राप्त डैटा से उम्मीद है कि आईस्पेस के भावी चंद्रमा मिशन के लिए टीम को  बेहतर तैयारी का मौका मिलेगा। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://newsonair.gov.in/writereaddata/News_Pictures/INT/2023/Apr/NPIC-20234268300.jpg

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