जल्दी ही भारत अंतरिक्ष में मानव भेजेगा

15 अगस्त को प्रधानमंत्री द्वारा 2022 तक मानव को अंतरिक्ष में भेजने के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस घोषणा ने देश की अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख समेत कई लोगों को आश्चर्यचकित किया।

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के. सिवान के अनुसार भारतीय अंतरिक्षउत्साही एक दशक से अधिक समय से मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन इस विचार को अब तक राजनीतिक समर्थन नहीं मिला था।

डॉ. सिवान का मानना है कि इसरो अन्य देशों की मदद से मिशन को अंजाम दे सकता है। आने वाले समय में वह तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में पांच से सात दिनों के लिए भेजने की योजना पर काम कर रहे हैं। इस मिशन के साथ वे दो अन्य मानव रहित मिशन की भी तैयारी करेंगे जिसे पृथ्वी की निचली कक्षा (300-400 किलोमीटर) में पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। अनुमान है कि इस कार्यक्रम पर लगभग 100 अरब रुपए खर्च होंगे। यदि यह सफल रहा तो संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत अपने स्वयं के मानवसहित अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित करने वाला चौथा देश बन जाएगा।

इसरो के पास मानवसहित यान के लिए पहले से ही कई प्रमुख हिस्से मौजूद हैं। इनमें अंतरिक्ष यात्री को ले जाने और उनके बचाव के लिए एक मॉड्यूल मौजूद है। इसरो ने बारबार उपयोग में आने वाली एक अंतरिक्ष शटल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। जीएसएलवी मार्क III रॉकेट का इस्तेमाल यान को लॉन्च करने के लिए किया जाएगा। एजेंसी को अपनी कुछ तकनीकों को अपग्रेड करके मानवसहित मिशन के लिए परीक्षण करना होगा। जैसे जीएसएलवी मार्क III रॉकेट को मानवसहित उपग्रह भेजने के लिए तैयार करना होगा जो वज़नी होते हैं। एजेंसी के पास अंतरिक्ष में यात्रियों को स्वस्थ रखने और उन्हें सुरक्षित वापस लाने का कोई अनुभव नहीं है।

इस कार्य को पूरा करने के लिए इसरो को एयरोस्पेस मेडिसिन संस्थान तथा कई विदेशी विशेषज्ञों की मदद की ज़रूरत पड़ेगी। हो सकता है अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस या युरोप में सुविधाओं का उपयोग करना पड़े। एक विकल्प तकनीक को खरीदने का भी हो सकता है लेकिन यह काफी महंगा होगा।   

सवाल यह भी है कि क्या इसरो द्वारा देश कि जनता की भलाई को देखते हुए संचार और मौसम पूर्वानुमान के लिए उपग्रहों को लॉन्च करना ज़्यादा महत्वपूर्ण है या फ़िर लोगों को अंतरिक्ष में भेजना जिसमें कार्यक्रम के दुर्लभ संसाधन खर्च हो जाएंगे।

कई पर्यवेक्षकों का मानना है कि भारत को कम समय सीमा में लक्ष्य को पूरा करने के लिए काफी संघर्ष करना है, जबकि अन्य विशेषज्ञों ने इसरो से परामर्श किए बिना अंतरिक्ष कार्यक्रम की घोषणा के लिए सरकार की आलोचना की है। सी.एस.आई.आर, दिल्ली के पूर्व सेवानिवृत्त शोधकर्ता गौहर रज़ा के अनुसार इसे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नई योजना की बजाय 2019 के चुनावी भाषण के रूप में देखा जाना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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