पर्यावरण पर्यटन का बढ़ता कारोबार – डॉ. दीपक कोहली

र्यटन आज दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में से है और पर्यटन उद्योग का सबसे तेज़ी से फैलता क्षेत्र पर्यावरण पर्यटन है। कोस्टा रिका और बेलिज जैसे देशों में विदेशी मुद्रा अर्जित करने का सबसे बड़ा रुाोत पर्यटन ही है जबकि ग्वाटेमाला में इसका स्थान दूसरा है। समूचे विकासशील ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र में वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र प्रबंधकों और स्थानीय समुदायों को आर्थिक विकास और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता के बीच संतुलन कायम करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। पर्यावरण पर्यटन भी इस महत्वपूर्ण संतुलन का एक पक्ष है। सुनियोजित पर्यावरण पर्यटन से संरक्षित क्षेत्रों और उनके आसपास रहने वाले समुदायों को लाभ पहुंचाया जा सकता है। इसके लिए जैव विविधता संरक्षण के दीर्घावधि उपायों और स्थानीय विकास के बीच समन्वय कायम करना होगा।

सामान्य शब्दों में पर्यावरण पर्यटन या इको टूरिज़्म का अर्थ है पर्यटन और प्रकृति संरक्षण का प्रबंधन इस ढंग से करना कि एक तरफ पर्यटन और पारिस्थितिकी की आवश्यकताएं पूरी हों और दूसरी तरफ स्थानीय समुदायों के लिए रोज़गार – नए कौशल, आय और महिलाओं के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित किया जा सके। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2002 को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण-पर्यटन वर्ष के रूप में मनाए जाने से पर्यावरण पर्यटन के विश्वव्यापी महत्व, उसके लाभों और प्रभावों को मान्यता मिली। अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण पर्यटन वर्ष ने हमें विश्व स्तर पर पर्यावरण पर्यटन की समीक्षा और भविष्य में इसका स्थायी विकास सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त साधनों और संस्थागत ढांचे को मज़बूत करने का अवसर प्रदान किया। इसका अर्थ है कि पर्यावरण पर्यटन की खामियां और नकारात्मक प्रभाव दूर करते हुए इससे अधिकतम आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ प्राप्त किए जा सकें।

पर्यावरण पर्यटन को अब सब रोगों की औषधि के रूप में देखा जा रहा है जिससे भारी मात्रा में पर्यटन राजस्व मिलता है और पारिस्थितिकी प्रणाली को कोई क्षति नहीं पहुंचती क्योंकि इसमें वन संसाधनों का दोहन नहीं किया जाता। एक अवधारणा के रूप में पर्यावरण पर्यटन को भारत में हाल ही में बल मिला है, लेकिन एक जीवन पद्धति के रूप में भारतीय सदियों से इस अवधारणा पर अमल कर रहे हैं। पर्यावरण पर्यटन को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया गया है। इंटरनेशनल इको टूरिज़्म सोसायटी ने 1991 में इसकी परिभाषा इस प्रकार की थी: पर्यावरण पर्यटन प्राकृतिक क्षेत्रों की वह दायित्वपूर्ण यात्रा है जिससे पर्यावरण संरक्षण होता है और स्थानीय लोगों की खुशहाली बढ़ती है।

विश्व पर्यटन संगठन (डब्ल्यूटीओ) द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार पर्यावरण पर्यटन के अंतर्गत अपेक्षाकृत अबाधित प्राकृतिक क्षेत्रों की ऐसी यात्रा शामिल है जिसका निर्दिष्ट लक्ष्य प्रकृति का अध्ययन और सम्मान करना तथा वनस्पति और जीव-जंतुओं के दर्शन का आऩंद लेना तथा साथ ही इन क्षेत्रों से संबद्ध सांस्कृतिक पहलुओं (अतीत और वर्तमान, दोनों) का अध्ययन करना है। वल्र्ड कंज़र्वेशन यूनियन (आईयूसीएन, 1996) के अनुसार पर्यावरण पर्यटन का अर्थ है प्राकृतिक क्षेत्रों की पर्यावरण अनुकूल यात्रा ताकि प्रकृति (साथ ही अतीत और वर्तमान की सांस्कृतिक विशेषताओं) को सराहा जा सके और उनका आनंद उठाया जा सके, जिससे संरक्षण को प्रोत्साहन मिले, पर्यटकों का असर कम पड़े और स्थानीय लोगों की सक्रिय सामाजिक-आर्थिक भागीदारी का लाभ उठाया जा सके। संक्षेप में, इसकी परिभाषाओं में तीन पहलुओं को रेखांकित किया गया है – प्रकृति, पर्यटन और स्थानीय समुदाय। सार्वजनिक पर्यटन से इसका अर्थ भिन्न है, जिसका लक्ष्य प्रकृति का दोहन है। संरक्षण, स्थिरता और जैव-विविधता पर्यावरण पर्यटन के तीन परस्पर सम्बंधित पहलू हैं। विकास के एक साधन के रूप में पर्यावरण पर्यटन जैव विविधता समझौते’ के तीन बुनियादी लक्ष्यों को हासिल करने में मदद दे सकता है:

– संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन प्रणालियां (सार्वजनिक या निजी) मज़बूत बनाकर और सुदृढ़ पारिस्थितिकी प्रणालियों का योगदान बढ़ाकर जैव-विविधता (और सांस्कृतिक विविधता) का संरक्षण।

– पर्यावरण पर्यटन और सम्बंधित व्यापार नेटवर्क में आमदनी, रोज़गार और व्यापार के अवसर पैदा करके जैव विविधता के स्थायी इस्तेमाल को प्रोत्साहन, और

– स्थानीय समुदायों और जनजातीय लोगों को पर्यावरण-पर्यटन गतिविधियों के लाभ में समान रूप से भागीदार बनाना और इसके लिए पर्यावरण पर्यटन की आयोजना और प्रबंधन में उनकी पूर्ण सहमति एवं भागीदारी प्राप्त करना।

पर्यावरण पर्यटन का सिद्धांतों, दिशा-निर्देशों और स्थिरता के मानदंडों पर आधारित होना इसे पर्यटन क्षेत्र में विशेष स्थान प्रदान करता है। पहली बार इस धारणा को परिभाषित किए जाने के बाद के वर्षों में पर्यावरण पर्यटन के अनिवार्य बुनियादी तत्वों के बारे में आम सहमति बनी है जो इस प्रकार है: भली-भांति संरक्षित पारिस्थितिकी तंत्र पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, विभिन्न सांस्कृतिक और साहसिक गतिविधियों के दौरान एक ज़िम्मेदार, कम असर डालने वाला पर्यटक व्यवहार, पुनर्भरण न हो सकने वाले संसाधनों की कम से कम खपत, स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी, जो प्रकृति, संस्कृति और परम्पराओं के बारे में पर्यटकों को प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराने में सक्षम होते हैं और अंत में स्थानीय लोगों को पर्यावरण पर्यटन प्रबंधन के अधिकार प्रदान करना ताकि वे जीविका के वैकल्पिक अवसर अपनाकर संरक्षण सुनिश्चित कर सकें तथा पर्यटक और स्थानीय समुदाय, दोनों के लिए शैक्षिक पहलू शामिल कर सकें।

पर्यावरण अनुकूल गतिविधि होने के कारण पर्यावरण पर्यटन का लक्ष्य पर्यावरण मूल्यों और शिष्टाचार को प्रोत्साहित करना तथा निर्बाध रूप में प्रकृति का संरक्षण करना है। इस तरह यह वन्य जीवों और प्रकृति को लाभ पहुंचाता है तथा स्थानीय लोगों की भागीदारी उनके लिए आर्थिक लाभ सुनिश्चित करती है जो आगे चलकर उन्हें बेहतर और आसान जीवन स्तर उपलब्ध कराती है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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