कोरोना की चुनौतियों से जूझता विज्ञान जगत – चक्रेश जैन

विदा हो चुके वर्ष 2020 में कोविड-19 की विप्लवकारी चुनौतियों से वैज्ञानिक बिरादरी में चिंता व्याप्त रही। साल के पूर्वार्द्ध में दुनिया भर की सरकारों ने वैक्सीन के अभाव में ज़ोरदार जागरूकता अभियान चलाए, जिनके परिणामस्वरूप लाखों जाने बचीं। उत्तरार्द्ध में वैज्ञानिकों को वैक्सीन बनाने में मिली सफलता से लोगों ने राहत की सांस ली।

कोविड-19 महामारी का असर आर्थिक,सामाजिक,वैज्ञानिक,शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों पर पड़ा और अधिकांश आयोजन रियल से वर्चुअल प्लेटफार्म पर शिफ्ट हो गए। विज्ञान प्रयोगशालाओं में शोध कार्यों और परियोजनाओं में रुकावट आ गई। विज्ञान सम्मेलनों, बैठकों और संगोष्ठियों की जगह वेबिनारों का दौर शुरू हो गया।

वर्ष 2020 विज्ञान जगत के इतिहास में कोरोनावायरस परिवार के सातवें सदस्य सार्स-कोव-2 की विनाशकारी सक्रियता के लिए याद रहेगा। अभी तक कोरोना वायरस परिवार में छह सदस्य (229 ई, एनएल 63, ओसी 43, एचकेयू1, सार्स-कोव और मर्स-कोव) थे।

साल अंत होते-होते ब्रिटेन में इसी वायरस का एक नया रूप (स्ट्रेन) सामने आ गया। बीते वर्ष कोविड-19 पर रिसर्च पेपर्स की बाढ़ आ गई और इसकी चुनौतियों से जूझने के लिए नवाचारों का विस्तार भी हुआ।

विज्ञान की प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका साइंस द्वारा वर्ष 2020 की टॉप टेन रिसर्च स्टोरीज़ में प्रथम स्थान कोरोनावायरस के विरुद्ध वैक्सीन की खोज और अनुसंधान कार्यों को मिला है। कोरोना परिवार का नया वायरस सार्स-कोव-2 अपने रिश्तेदारों की तुलना में कहीं अधिक संक्रामक साबित हुआ। यह वायरस चीन के वुहान प्रांत में संक्रमित लोगों के ज़रिए कई देशों में फैल गया। न्यूज़ीलैंड ने अपने देश में वायरस को नियंत्रित करके विश्व के सभी देशों को चकित कर दिया। न्यूज़ीलैंड की प्रधान मंत्री को इसके लिए नेचर ने 2020 के टॉप टेन व्यक्तियों की सूची में शामिल किया है। प्रथम स्थान विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडहानोम गेब्रेयेसस को मिला है, जिन्होंने तत्परतापूर्वक इसे महामारी घोषित कर सरकारों को सचेत कर दिया।

मार्च में सबसे पहले लॉकडाउन का प्रस्ताव चीन की महामारी रोग विशेषज्ञ ली लंजुआन ने रखा था, जिसे चीन सहित कई देशों ने अपनाया। नेचर ने इस साल के दस विशिष्ट व्यक्तियों की सूची में ली लंजुआन को भी सम्मिलित किया है। इस सूची में नेचर ने चीनी वैज्ञानिक झांग योंग ज़ेन को भी स्थान दिया है जिनकी टीम ने सबसे पहले सार्स-कोव-2 का आरएनए अनुक्रम ऑनलाइन उपलब्ध कराया था।

गुज़रे साल कई देश सार्स-कोव-2 की वैक्सीन बनाने की स्पर्धा में शामिल रहे। आम तौर पर वैक्सीन विकसित करने में वर्षों लगते हैं और परीक्षण के तीन या चार चरणों से गुज़रना पड़ता है, लेकिन 11 अगस्त को ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहली वैक्सीन तैयार करने की घोषणा की और पहला टीका उनकी पुत्री को लगाया गया।

इस वर्ष नीदरलैंड के कैंसर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने मनुष्य के गले के ऊपरी हिस्से में नई लार ग्रंथियां खोजीं जिन्हें नासा-ग्रसनी (ट्यूबेरियल) लार ग्रंथियां नाम दिया गया है। इस नए अंग का पता प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर पर रिसर्च के दौरान चला। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह खोज कैंसर की चिकित्सा में मददगार होगी।

इसी वर्ष इस्राइल की तेल अवीव युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने हेनेगुआ सालमिनिकोला परजीवी का पता लगाया, जिसमें माइटोकॉण्ड्रियल जीनोम नहीं मिला। यह पहला बहुकोशिकीय जीव है, जो पूरे जीवन ऑक्सीजन पर निर्भरता से मुक्त रहता है। इसे सांस लेने की आवश्यकता नहीं होती। अध्ययनों में यह भी पता चला कि इसका विकास माइटोकॉण्ड्रिया वाले जीवों की तरह हुआ था, लेकिन इसने धीरे-धीरे माइटोकॉण्ड्रिया गंवा दिया।

वैज्ञानिकों ने फास्ट रेडियो बर्स्ट (एफआरबी) का पता लगा कर बड़ी उपलब्धि हासिल की। दरअसल ये संकेत हमारी निहारिका (आकाशगंगा) के एक मैग्नेटर से आए थे। पहली बार 2007 में इन संकेतों को पकड़ा गया था, जो केवल कुछ मिलीसेकेंड तक ही दिखाई दिए थे। नेचर ने इसे टॉप टेन की सूची में सम्मिलित किया है।

वर्ष 2020 में नासा के सोफिया ने चंद्रमा की सतह पर मौजूद क्रेटर क्लेवियस में पानी के अणु की खोज की। क्लेवियस पृथ्वी से देखा जा सकने वाला गड्ढा है। यह चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्द्ध पर स्थित है। यह खोज दर्शाती है कि पानी चन्द्रमा के सिर्फ छायादार स्थानों पर ही नहीं, कई स्थानों पर हो सकता है। अभी तक मान्यता थी कि चंद्रमा पर जल का तरल रूप नहीं है।

इस वर्ष जनवरी में विश्व के सबसे बड़े और शक्तिशाली सोलर टेलीस्कोप डेनियल के. इनोय की सहायता से असाधारण तस्वीर ली गई, जिसमें सूर्य की सतह मानव कोशिकाओं की संरचना की भांति दिख रही है। अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि इस तस्वीर की सहायता से आगे चलकर सूर्य की सतह के बारे में नई जानकारियां मिल सकती हैं। गैलीलियो टेलीस्कोप के बाद पृथ्वी से सूर्य के अध्ययन की दिशा में यह बहुत बड़ी छलांग है।

इसी महीने पार्कर सोलर प्रोब यान सूर्य के सबसे समीप पहुंचने वाला अंतरिक्ष यान बन गया। इसे नासा ने अगस्त 2018 में प्रक्षेपित किया था। यह सूर्य से मात्र एक करोड 87 लाख किलोमीटर की दूरी पर था। सूर्य से पृथ्वी की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है। सोलर प्रोब सूर्य की सबसे बाहरी सतह कोरोना के बारे में नई सूचनाएं भेजेगा।

इस वर्ष 15 नवम्बर को दुनिया का पहला निजी अंतरिक्ष यान स्पेस एक्स अमेरिका के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर रवाना हुआ और 27 घंटे के सफर के बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचा। अंतरिक्ष यात्रियों में तीन अमेरिका और एक जापान का है। यह स्पेस एक्स की दूसरी मानव सहित उड़ान है। यह नासा का पहला मिशन है, जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजने के लिए किसी निजी अंतरिक्ष यान की सहायता ली गई है।

इसी साल 6 फरवरी को अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रहने वाली महिला का रिकॉर्ड अपने नाम कर सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आईं। क्रिस्टीना कोच ने 328 दिन अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर गुज़ारे। उन्होंने छह बार अंतरिक्ष में चहलकदमी भी की। उन्होंने बिना किसी पुरुष सहयोगी के अंतरिक्ष में चहलकदमी करके एक नया अध्याय रचा।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान ओसीरिस एक्स ने 20 अक्टूबर को चार वर्षों की लंबी यात्रा के बाद क्षुद्र ग्रह बेनू का स्पर्श किया। यान के रोबोटिक हाथ ने क्षुद्र ग्रह के नमूने एकत्रित किए। माना जाता है कि बेनू का निर्माण सौर मंडल के उद्भव के दौरान हुआ था। इससे वैज्ञानिकों को सौर मंडल की आरंभिक अवस्था को समझने में मदद मिलेगी। साथ ही उन तत्वों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी, जिनसे पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई। अंतरिक्ष यान ओसीरिस रेक्स को सितंबर 2016 में रवाना हुआ था।

गुज़रे साल के अंत में जापान का अंतरिक्ष यान हयाबुसा-2 पहली बार किसी क्षुद्र ग्रह पर उतर कर वहां से नमूने लेकर पृथ्वी पर लौटा। हयाबुसा-2 का प्रक्षेपण 2014 में किया गया था।

दिसंबर में चीन का चंद्रयान चांग ई-5 चंद्रमा की सतह से नमूने लेकर सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आया। इस अभियान की शुरुआत 2004 में हुई थी। पिछले चार दशकों में चीन दुनिया का पहला देश है, जिसने चंद्रमा के नमूने पृथ्वी पर लाने के प्रयास किए थे। इसी महीने चीन के लांग मार्च-8 रॉकेट ने पांच उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक विदाई दी।

वैज्ञानिकों ने मनुष्य में बुढ़ापे के जीन और उसे रोकने की प्रक्रिया के अनुसंधान में सफलता प्राप्त की। पत्रिका स्टेम सेल में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार युनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन के डॉ. वॉन जू ली के अनुसार बुढ़ापा मेसेन्काइमल स्टेम कोशिकाओं (एमएससी) की गतिविधियों में कमी आने से होता है। नए शोध के अनुसार इसे दवाइयों और अन्य उपचारों के ज़रिए दूर किया जा सकेगा। इसके लिए कोशिकाओं की रिप्रोग्रामिंग की जाएगी।

इसी वर्ष सऊदी अरब की किंग अब्दुल्ला युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सिंथेटिक त्वचा बना ली। इसकी विशेषता यह है कि यह अपने-आप रफू हो जाती है। इसे ई-स्किन नाम दिया गया है। सिंथेटिक त्वचा का उपयोग कृत्रिम अंगों के लिए भी किया जा सकता है।

माइकल फैराडे द्वारा बेंज़ीन की खोज के लगभग 200 वर्षों बाद रसायन विज्ञान के अनुसंधानकर्ताओं को इसकी जटिल इलेक्ट्रॉनिक संरचना को स्पष्ट करने में सफलता मिली। टिमथी श्मिट के नेतृत्व में वैज्ञानिक दल ने इसे सुलझाने के लिए कंप्यूटर मॉडलिंग का उपयोग किया था। 1930 के दशक से ही रसायन शास्त्र के अध्येताओं के बीच बेंज़ीन की आधारभूत इलेक्ट्रॉनिक संरचना को लेकर बहस होती रही है। हाल के वर्षों में बहस का महत्व और बढ़ गया था, क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा और दूरसंचार तकनीक में इसकी अहम भूमिका सामने आई है।

21 दिसंबर को शनि और बृहस्पति ग्रहों का दुर्लभ मिलन हुआ। इसे खगोल विज्ञान की बड़ी और ऐतिहासिक घटनाओं में शामिल किया गया। लगभग आठ सौ वर्ष बाद दोनों ग्रह एक-दूसरे के बहुत करीब दिखे थे। दो खगोलीय पिंडों के नज़दीक दिखने को ‘कंजंक्शन’ और शनि तथा बृहस्पति के इस तरह के मिलन को ‘ग्रेट कंजंक्शन’ कहते हैं। सन् 1623 में भी शनि और बृहस्पति एक-दूसरे के पास नज़र आए थे। बृहस्पति 12 वर्ष और शनि 29 वर्ष में सूर्य की परिक्रमा पूरी करता है। अब दोनों ग्रह साठ वर्ष बाद मार्च 2080 में पुन: इतने समीप दिखेंगे।

विदा हो चुके वर्ष में चीन के वैज्ञानिकों ने प्रकाश पर आधारित विश्व का पहला क्वांटम कंप्यूटर बनाने का दावा किया। यह पारंपरिक सुपर कंप्यूटर की तुलना में कई गुना तेज़ है। क्वांटम कंप्यूटर की मदद से कृत्रिम बुद्धि, चिकित्सा विज्ञान आदि क्षेत्रों में नई उपलब्धियां हासिल की जा सकेंगी।

वर्ष 2020 को राष्ट्र संघ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य वर्ष घोषित किया गया था, जिसका उद्देश्य पादप जगत एवं उसके संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना था।

विदा हो चुके साल में रोबोट का जन्मशती वर्ष मनाया गया। विज्ञान कथाओं में रोबोट शब्द और विचार 1920 में सामने आया था। पिछले दशकों में बुद्धिमान रोबोट बनाने की दिशा में जमकर अनुसंधान हुआ है। बुद्धिमान रोबोट बनाने में कृत्रिम बुद्धि की अहम भूमिका है। बुद्धिमान रोबोट के आगमन ने मनुष्य के सामने अवसरों और अस्तित्व की नई चुनौती खड़ी कर दी है।

वर्ष 2020 के विज्ञान के नोबेल पुरस्कारों में अमेरिका का वर्चस्व रहा। रसायन विज्ञान के इतिहास में पहली बार यह सम्मान महिला वैज्ञानिकों के खाते में पहुंचा। चिकित्सा विज्ञान का नोबेल हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए वैज्ञानिक हार्वे जे. आल्टर, चार्ल्स एम. राइस तथा माइकल हाटन को प्रदान किया गया। फिज़िक्स का नोबेल ब्लैक होल के रहस्यों की शानदार व्याख्या के लिए रॉजर पेनरोज़, राइनहार्ड गेनज़ेल और एंड्रिया गेज़ को दिया गया। रसायन शास्त्र का नोबेल इमैनुएल शार्पेची और जेनिफर ए. डाउडना को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। इन्होंने जीन संपादन तकनीक क्रिस्पर कास-9 विधि की खोज में विशेष योगदान किया है।

वर्ष 2020 में अमेरिकी विज्ञान कथा लेखक और जैव रसायनविद आइज़ैक एसीमोव की जन्मशती मनाई गई। उन्होंने लोकप्रिय विज्ञान की अनेक किताबें लिखी हैं तथा आई रोबोट सहित कई फिल्में भी बनाई हैं।

इसी वर्ष फरवरी में कंप्यूटर में जाने-माने ‘कट-कॉपी-पेस्ट’ कमांड के आविष्कारक लैरी टेस्लर का 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने कंप्यूटर के यूज़र इंटरफेज़ के विकास में अहम भूमिका निभाई थी। दिसंबर में संचार के क्षेत्र में वायरलेस कंप्यूटर नेटवर्क के जनक नार्मन अब्राामसन का निधन हो गया। उन्हें प्रारंभिक वायरलेस नेटवर्क एएलओएच नेट बनाने का श्रेय जाता है।

विलक्षण गणितज्ञ और नासा की महिला वैज्ञानिक कैथरीन कोलमैन गोबल जॉनसन का 24 फरवरी को 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष यात्राओं पर ले जाने और सुरक्षित वापसी के लिए अपनी बेजोड़ विशेषज्ञता का परिचय दिया था। उन्हें नासा लूनर आर्बिटर और 1997 में वर्ष का गणितज्ञ सम्मान मिला था।

अलविदा हो चुके वर्ष में ईरान के न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजादेह की उपग्रह द्वारा नियंत्रित हथियारों से हत्या कर दी गई। फखरीजादेह को ईरान के परमाणु कार्यक्रम की सबसे बडी शक्ति माना जाता था।

विज्ञान जगत की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादकों और विश्लेषणकर्ताओं के अनुसार विदा हो चुके वर्ष 2020 में मूल विज्ञान की कोख से निकली प्रौद्योगिकी अथवा प्रयुक्त विज्ञान का समाज में वर्चस्व और विस्तार दिखाई दिया और मूलभूत विज्ञान हाशिए पर रहा।(स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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