बदले हुए वायरस से खलबली

ठ दिसंबर को दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड स्थित केंट में अचानक कोविड-19 के मामलों में उछाल ने जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया। इनमें आधे से अधिक मामले ऐसे रोगियों के थे जिनमें सार्स-कोव-2 का एक विशिष्ट संस्करण पाया गया था। युनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंगहैम के सूक्ष्मजीव-जीन विज्ञानी निक लोमन के अनुसार यह नया संस्करण उपलब्ध डैटा से काफी अलग था, जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था।

दो हफ्ते से भी कम समय में नए संस्करण ने ब्रिटेन और युरोप के अन्य स्थानों पर खलबली मचा दी। इस कारण सार्स-कोव-2 के नए स्ट्रेन (B.1.1.7) को फैलने से रोकने के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने सख्त लॉकडाउन की घोषणा तक कर दी। इस घोषणा के बाद से नीदरलैंड, बेल्जियम, इटली के अलावा भारत ने भी फिलहाल यूके से यात्री उड़ानों को रोक दिया है।

वैज्ञानिक मनुष्यों में B.1.1.7 की संक्रामकता का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस नए स्ट्रेन में इतनी जल्दी 17 उत्परिवर्तन हो चुके हैं। इन उत्परिवर्तनों की प्रकृति की खोजबीन जारी है। 

गौरतलब है कि शोधकर्ताओं ने अन्य वायरसों की तुलना में सार्स-कोव-2 पर काफी अधिक अध्ययन किया है। निष्कर्ष यह है कि इस वायरस की उत्परिवर्तन दर एक या दो उत्परिवर्तन प्रति माह है। यानी जनवरी में चीन में प्राप्त शुरुआती जीनोम से आज के जीनोम में 20 विभिन्न बिंदुओं पर परिवर्तन हुए हैं। लेकिन कम परिवर्तनों वाले कई संस्करण भी उपस्थित हैं। वैज्ञानिकों ने किसी वायरस में एक बार में एक दर्जन से अधिक उत्परिवर्तन पहली बार देखे हैं। उनका मानना है कि यह किसी व्यक्ति में लंबे समय तक बने रहे संक्रमण के कारण हुआ होगा जिससे वायरस को तेज़ी से विकसित होने की गुंजाइश मिली होगी।

वायरस में हुए 17 उत्परिवर्तनों में से 8 तो उस जीन में हुए हैं जो वायरस के स्पाइक प्रोटीन का कोड है। इनमें से दो उत्परिवर्तन विशेष रूप से चिंताजनक हैं। एक है N501Y जो मानव कोशिकाओं के ACE2 प्रोटीन ग्राही से ज़्यादा मज़बूती से जुड़ जाता है और दूसरा 69-70del है जिसमें स्पाइक प्रोटीन में दो अमीनो अम्लों का लोप हुआ है। यह उन वायरस में पाया गया है जो दुर्बल प्रतिरक्षा वाले रोगियों की प्रतिरक्षा प्रक्रिया से बचकर निकल गए।

शुरुआती जानकारी से यह पता चला है कि यूके में वायरस के अन्य संस्करणों की तुलना में B.1.1.7 काफी तेज़ी से फैलता है। गौरतलब है कि एक आरटी-पीसीआर परीक्षण (Taqpath) सामान्य रूप से तीन जीनों का पता लगाता है। लेकिन पीसीआर परीक्षण 69-70del संस्करण वाले वायरसों को नहीं भांपता और यह केवल दो जीन को ही खोज पाता है। इस लिहाज़ से इस परीक्षण से B.1.1.7 को ट्रैक करने में मदद मिल सकती है।

यूके के मुख्य विज्ञान सलाहकार पैट्रिक वालेंस के अनुसार नवंबर में सामने आए कुल मामलों में से 26 प्रतिशत B.1.1.7 की वजह से हुए थे लेकिन 9 दिसंबर तक 60 प्रतिशत से अधिक मामलों में नया संस्करण पाया गया। अनुमान है कि इस उत्परिवर्तन के कारण वायरस की संक्रामकता में 70 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

हालांकि, कुछ वैज्ञानिकों को लगता है कि उपलब्ध जानकारी के आधार पर B.1.1.7 की संक्रामकता के बारे में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता। गौर करने वाली बात है कि इस नए संस्करण में एक अन्य वायरल जीन (ORF8) में भी परिवर्तन हुआ है जो वायरस के फैलने की क्षमता को कम करता है।

चिंता की बात यह भी है कि दक्षिण अफ्रीका के तीन प्रांतों में वायरस के स्पाइक जीन में N501Y उत्परिवर्तन पाया गया है। युनिवर्सिटी ऑफ क्वाज़ुलु-नैटल के वायरस विज्ञानी तूलियो डी ओलिवेरा के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया यह संस्करण काफी तेज़ी से फैल रहा है।

यह भी कहा जा रहा है कि B.1.1.7 के कारण गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना है। अफ्रीका सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार दक्षिण अफ्रीकी संस्करण युवाओं को अधिक प्रभावित कर रहा है। लेकिन स्पष्ट निष्कर्ष के लिए और डैटा की आवश्यकता है। 

इस विषय में निश्चित उत्तर मिलने में काफी समय लग सकता है। फिलहाल एक रोगी में 69-70del उत्परिवर्तन के साथ एक अन्य उत्परिवर्तन D796H भी पाया गया है जो उस व्यक्ति में कई महीनों से मौजूद था और जिसके इलाज के लिए प्लाज़्मा दिया जा रहा था। हालांकि उस रोगी की मृत्यु हो गई लेकिन पाया गया कि दो उत्परिवर्तन वाला यह वायरस प्लाज़्मा उपचार के प्रति असंवेदनशील है। इस उत्परिवर्तन के कारण यह वायरस दुगना संक्रामक हो जाता है। इस मामले में और अध्ययन किए जा रहे हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि B.1.1.7 पहले ही काफी बड़े पैमाने पर फैल चुका है। नीदरलैंड के शोधकर्ताओं ने दिसंबर माह की शुरुआत में ही एक रोगी में वायरस का यह संस्करण पाया था। कई वैज्ञानिक अन्य देशों में भी इस संस्करण के पैदा होने की संभावना व्यक्त करते हैं। हो सकता है कि यूके में यह पहले इसलिए पता चला क्योंकि वहां सार्स-कोव-2 जीनोम की निगरानी करने के परिष्कृत उपकरण मौजूद हैं। ऐसी भी संभावना है कि B.1.1.7 की विकास प्रक्रिया की शुरुआत कहीं और हुई हो।

अब टीके बाज़ार में आने लगे हैं। तो वायरस के विभिन्न संस्करणों पर टीकों का दबाव बनेगा। ऐसी स्थिति में संभावना है कि वे संस्करण ज़्यादा बचे रहेंगे और संख्यावृद्धि करेंगे जो टीके को झेल जाते हैं। यानी वायरस के टीका-रोधी संस्करणों का प्रसार बढ़ सकता है।(स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.sciencemag.org/sites/default/files/styles/article_main_image_-1280w__no_aspect/public/London_1280p_0.jpg?itok=Z8QdBSg6

प्रातिक्रिया दे