क्या कोविड टीकाकरण कार्यक्रम कारगर है?

विश्वभर में कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू हो गया है। वैज्ञानिको में इसके प्रभाव जानने की उत्सुकता है। इस्राइली शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक आकड़ों के अनुसार टीकाकृत लोगों के सार्स-कोव-2 पॉज़िटिव पाए जाने की संभावना गैर-टीकाकृत लोगों की अपेक्षा एक-तिहाई कम है। लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक टीकाकरण के व्यापक प्रभावों को स्पष्ट होने में अभी समय लग सकता है।

टीके के प्रभाव को आंकने के लिए कई कारकों का अध्ययन किया जा सकता है – टीका कितने लोगों को दिया गया है, रोग एवं संक्रमण को रोकने में टीके की प्रभाविता और संक्रमण प्रसार की दर वगैरह।

आबादी में सबसे अधिक टीका लगाने के मामले में इस्राइल और संयुक्त अरब अमीरात सबसे आगे हैं। इन दोनों देशों ने 20-20 लाख लोगों का टीकाकरण कर अपनी एक-चौथाई जनसंख्या का टीकाकरण कर दिया है। यूके और नॉर्वे जैसे देशों ने अपने टीकाकरण कार्यक्रम में उच्च-जोखिम वाले समूहों को लक्षित किया है। ब्रिटेन ने 40 लाख लोगों का टीकाकरण किया है जिसमें अधिकांश जन स्वास्थ्य कार्यकर्ता, वृद्धजन और केयरहोम में रहने वाले लोग हैं। नॉर्वे ने नर्सिंग होम में रहने वाले 40,000 लोगों को टीका लगाया है।

इस्राइल ऐसा पहला देश है जिसने क्लीनिकल परीक्षण के बाहर टीकों के प्रभावों को रिपोर्ट किया है। इसमें फाइज़र-बायोएनटेक द्वारा विकसित आरएनए आधारित टीके की दो खुराकों के शुरुआती परिणाम दर्शाए गए हैं। इनमें पता चला है कि टीके की एक खुराक संक्रमण को रोक सकती है या बीमारी की अवधि को कम कर सकती है। 60 वर्ष से अधिक आयु वाले दो-दो लाख टीकाकृत और गैर-टीकाकृत लोगों की तुलना में पाया गया कि पहली खुराक के दो सप्ताह के भीतर टीकाकृत लोगों में संक्रमण में 33 प्रतिशत की कमी आई। मैकाबी हेल्थकेयर सर्विसेस द्वारा किए गए एक अन्य विश्लेषण में इसी तरह के परिणाम मिले हैं।

क्लीनिकल परीक्षण में फाइज़र-बायोएनटेक टीका कोविड-19 को रोकने में 90 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था। प्रारंभिक डैटा बताता है कि यह कुछ हद तक संक्रमण से सुरक्षा भी देता है। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि टीकाकृत लोग वायरस फैलाते हैं या नहीं।

अधिकांश देश टीकाकरण में गंभीर रोग और मृत्यु के उच्च जोखिम वाले लोगों को प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसे देशों में शुरुआती परिणामों का अनुमान अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ों और मौतों की संख्या में कमी के आधार पर लगाया जा सकता है।

युनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा की जीव-सांख्यिकीविद नटाली डीन के अनुसार यदि टीके संक्रमण को रोकने में प्रभावी हैं तो इसका अप्रत्यक्ष लाभ (यानी गैर-टीकाकृत लोगों को लाभ) तभी देखा जा सकता है जब काफी लोगों को टीका लग जाए। जैसे इस्राइल में, जिसने अपनी जनसंख्या के बड़े हिस्से का टीकाकरण कर लिया है। कुछ अन्य क्षेत्रों में टीके के प्रभावी होने के संकेत उन विशेष समूहों में देखे जा सकते हैं जिनमें व्यापक टीकाकरण किया गया है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि नॉर्वे जैसे देशों में टीकों के प्रभाव का पता लगाना काफी मुश्किल होगा जहां पहले से ही वायरस को काफी हद तक नियंत्रित किया जा चुका है। लेकिन डीन के अनुसार टीकों के असर को अन्य उपायों (जैसे लॉकडाउन और सामाजिक दूरी) के प्रभावों से अलग करके परखना मुश्किल होगा। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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