शिशु जानते हैं जूठा खा लेने वाला अपना है

जिनके साथ हमारे आत्मीय या अंतरंग सम्बंध होते हैं, आम तौर पर उनका जूठा खाने में हमें कोई हिचक नहीं होती। अब एक ताज़ा अध्ययन बताता है कि 8 महीने के शिशु भी इस बात को समझते हैं। जब शिशुओं को कठपुतली या कार्टून चरित्र को जूठा खिलाते दिखाया गया तो वे यह अनुमान लगाने में सक्षम थे कि इन चरित्रों के बीच करीबी नाता है।

मनुष्य विविध तरह के रिश्ते बनाते हैं। जीवित रहने और पलने-बढ़ने के लिए शिशुओं को इन रिश्तों में से ‘सबसे प्रगाढ़’ रिश्ते को पहचानने की ज़रूरत होती है – ऐसे रिश्ते जो खुद से बढ़कर उनके पालन-पोषण और सुरक्षा पर ध्यान दें। लंबे समय से वैज्ञानिक इस बात को लेकर हैरत में हैं कि बच्चे कब यह समझ विकसित कर लेते हैं।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी की मनोवैज्ञानिक एशले थॉमस ने सोचा कि इसका पता शायद नृविज्ञान अनुसंधान में मिले। दुनिया भर की संस्कृतियों के अध्ययन में देखा गया है कि सबसे अंतरंग सम्बंध वाले लोगों को एक-दूसरे की लार (जूठा खाने, चुंबन वगैरह के माध्यम से) और अन्य शारीरिक तरल से हिचक नहीं लगती। उन्हें यकीन था कि छोटे बच्चे भी इस बात को समझते होंगे। इसके लिए उनके दल ने कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर लगभग 400 बच्चों के साथ कुछ अध्ययन किए।

पहले अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 5 से 7 साल के बच्चों को कुछ कार्टून दृश्य दिखाए। एक तरह के दृश्य में मैदान में खड़ी एक बच्ची या तो स्ट्रॉ से जूस पी रही थी या आइसक्रीम खा रही थी; दूसरे में, वह कूदने की रस्सी या कोई खिलौना पकड़े हुए थी। अगले दृश्य में कोई परिजन और एक शिक्षक या मित्र शामिल हो जाता है। ये तस्वीरें दिखाने के बाद बच्चों से पूछा गया कि कार्टून चरित्र को किसके साथ अपनी जूठी आइसक्रीम या जूस साझा करना चाहिए तो बच्चों ने 74 प्रतिशत मामलों में रिश्तेदार को चुना; गैर-जूठी चीज़ों के मामले में रिश्तेदार और अन्य को बराबर तरजीह दी। ये निष्कर्ष साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

दूसरे अध्ययन में शोधकर्ताओं ने और भी छोटे बच्चों (8-19 माह) को शामिल किया। बच्चों को एक वीडियो दिखाया गया जिसमें एक गुड़िया किसी व्यक्ति के साथ संतरे की एक फांक बांट कर खा रही थी और दूसरे व्यक्ति के साथ गेंद खेल रही थी। फिर गुड़िया अचानक परेशानी भरे स्वर में चीख उठती है। गुड़िया के चीखने पर लगभग 80 प्रतिशत शिशुओं ने उस व्यक्ति की ओर देखा जिसके साथ गुड़िया ने जूठा साझा किया था – संभवतः इस उम्मीद में कि वह व्यक्ति उसे मुसीबत से बचाएगा। यही प्रतिक्रिया लार साझा करने के अन्य मामलों में भी दिखी, जैसे जब व्यक्ति ने गुड़िया के मुंह में अपनी उंगली डाली।

युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एलन फिस्क का कहना है कि यह अध्ययन यह समझने की ओर एक कदम है कि शिशु बोलना शुरू करने से पहले सामाजिकता के बारे में क्या-क्या जानते हैं। हालांकि, जूठा खाने के अलावा अन्य व्यवहारों से भी शिशुओं को गाढ़े रिश्तों का अनुमान मिल सकता है। जैसे एक ही बिस्तर पर सोना, गले लगाना और अंतरंग स्पर्श। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.ada0395/full/_20220120_on_babysaliva.jpg

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