जलवायु परिवर्तन का जंगली फफूंद पर असर

क्रोएशिया के कुछ हिस्सों में ट्रफल (खाने योग्य फफूंद) काफी महत्वपूर्ण हैं। इनकी कीमत लगभग 4,00,000 रुपए प्रति किलोग्राम तक होती है। ट्रफल उद्योग और इससे सम्बंधित पर्यटन रोज़गार प्रदान करता है, अतिरिक्त आय देता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।

तीस साल पहले इस्त्रिया में वर्ष भर में होने वाली बारिश का पूर्वानुमान किया जा सकता था। लेकिन अब, जलवायु बदल गई है और सूखा भी पड़ने लगा है। ट्रफल्स को बढ़ने के लिए एक विशिष्ट मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। और अपेक्षाकृत गर्म जाड़ों के कारण जंगली सूअरों की आबादी बढ़ गई है, जो मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं और ट्रफल खा जाते हैं। जिस कारण ट्रफल्स मिलना मुश्किल होता जा रहा है।

फफूंद वैज्ञानिक ज़ेल्को ज़्ग्रेबिक काले ट्रफल्स के प्लांटेशन की व्यवहार्यता का अध्ययन कर रहे हैं, जिसमें वे उनके बीजाणुओं को पेड़ों पर रोपने के विभिन्न तरीकों को आज़मा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने इस फफूंद के जीवन चक्र, पारिस्थितिकी और पूरे क्रोएशिया में कवक के भौगोलिक वितरण सम्बंधी डैटा और नमूने एकत्रित किए।

उनके अनुसार ट्रफल प्लांटेशन प्राकृतिक आवासों पर दबाव को कम कर सकता है। इसमें, मिट्टी में पानी की मात्रा नियंत्रित की जा सकती है, उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि विधियों का उपयोग किया जा सकता है और सूअरों को बाहर रखा जा सकता है।

वे मिट्टी में कवक की पहचान करने के लिए डीएनए बारकोडिंग का उपयोग कर रहे हैं ताकि संरक्षित क्षेत्रों में उनके बीजाणुओं और कवक-तंतुओं (मायसेलियम) की मदद से कवक की पहचान की जा सके। ज़्ग्रेबिक का कहना है कि प्रजातियों की संख्या अनुमान से कहीं अधिक है।

इसके अलावा, ट्रफल वाले इलाकों और ट्रफल-रहित इलाकों की तुलना करने से यह समझने में मदद मिल सकती है कि वे कुछ क्षेत्रों में क्यों पनपते हैं। इस काम से ब्रिजुनी नेशनल पार्क के एड्रियाटिक द्वीप जैसे स्थानों में जैव विविधता का महत्व भी स्पष्ट हो रहा है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.nwf.org/-/media/NEW-WEBSITE/Shared-Folder/Wildlife/Plants-and-Fungi/fungus_truffles_600x300.ashx

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