मस्तिष्क में मातृभाषा की खास हैसियत है

धिकांश लोग अपने जीवन में एक या दो भाषाएं सीख लेते हैं। लेकिन कई लोग 5 से अधिक भाषाएं बोल लेते हैं। ये लोग बहुभाषी या पॉलीग्लॉट कहलाते हैं। और जो 10 से अधिक भाषाएं बोलते हैं ऐसे दुर्लभ लोगों को हायपरपॉलीग्लॉट कहते हैं। वाशिंगटन डी. सी. में रहने वाले वॉग स्मिथ एक हायपरपॉलीग्लॉट हैं जो 24 भाषाएं बोल लेते हैं।

हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ऐसे ही बहुभाषियों के मस्तिष्क में झांका और देखा कि उनके मस्तिष्क का भाषा-सम्बंधी क्षेत्र अलग-अलग भाषाओं के सुनने पर कैसी प्रतिक्रिया देता है। देखा गया कि परिचित भाषाओं ने अपरिचित भाषाओं की तुलना में सशक्त प्रतिक्रिया दी, लेकिन अपवाद के रूप में देखा गया कि मातृभाषा को सुनने पर मस्तिष्क में अपेक्षाकृत कम हलचल दिखी। इससे शोधकर्ताओं को लगता है कि वे भाषाएं मस्तिष्क में कुछ विशिष्ट स्थान रखती हैं जिन्हें हम बचपन में सीख लेते हैं।

दरअसल उम्दा भाषा कौशल वाले लोगों (पॉलीग्लॉट्स) के मस्तिष्क में क्या हो रहा होता है इसे समझने पर बहुत ही कम अध्ययन हुए हैं। इसका एक कारण यह भी है कि दुनिया भर में पॉलीग्लॉट्स की संख्या बहुत ही कम है; महज एक प्रतिशत। तो शोध के लिए प्रतिभागी मिलना मुश्किल हो जाता है। लेकिन पॉलीग्लॉट्स पर अध्ययन मनुष्यों के ‘भाषा तंत्र’ को समझने में मदद कर सकता है।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के संज्ञान तंत्रिकाविज्ञानी ईव फेडोरेंको और उनका दल यह जानना चाहता था कि मस्तिष्क पांच से अधिक भाषाओं को कैसे प्रोसेस करता है। इसके लिए उन्होंने 25 पॉलीग्लॉट्स के मस्तिष्क का स्कैन किया, जिनमें से 16 हायपरपॉलीग्लॉट्स थे और एक प्रतिभागी तो ऐसा था जो 50 से अधिक भाषाएं बोल सकता था। मस्तिष्क के भाषा नेटवर्क को चित्रित करने के लिए उन्होंने fMRI तकनीक का उपयोग किया, जो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को मापती है।

जब प्रतिभागी fMRI मशीन के अंदर थे तो उन्हें आठ अलग-अलग भाषाओं में 16-16 सेकंड लंबी रिकॉर्डिंग सुनाई गईं। हर रिकॉर्डिंग या तो बाइबल या फिर ऐलिसेज़ एडवेंचर्स इन वंडरलैंड के गद्यांश के क्रमश: 25 और 46 भाषाओं में अनुवाद की रिकॉर्डिंग थी। प्रतिभागियों के लिए रिकॉर्डिंग का चुनाव बेतरतीब तरीके से किया गया था। आठ भाषाओं की रिकॉर्डिंग में से एक उनकी मातृभाषा में थी, तीन उन भाषाओं में थीं जो उन्होंने अपेक्षाकृत देर से सीखी थीं, और चार अपरिचित भाषाओं में थीं। दो अपरिचित भाषाएं ऐसी थीं जो उनकी परिचित भाषा की निकट सम्बंधी थी जैसे इतालवी मातृभाषा के लोगों को स्पेनिश सुनाई गई। और अन्य दो अपरिचित भाषाएं उनकी परिचित भाषाओं से कोई सम्बंध नहीं रखती थीं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि किसी भी भाषा के लिए मस्तिष्क में रक्त हमेशा एक-जैसे क्षेत्रों की ओर प्रवाहित हुआ। अर्थात सभी भाषाओं के लिए मस्तिष्क ने अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही बुनियादी नेटवर्क का उपयोग किया, जो एकभाषी व्यक्ति द्वारा ध्वनि को सुनकर उसे प्रोसेस करने में किया जाता है।

इसके अलावा, प्रतिभागी कितनी अच्छी तरह भाषा को जानते थे उस आधार पर मस्तिष्क के भाषा नेटवर्क की गतिविधि में उतार-चढ़ाव आया। भाषा जितनी अधिक परिचित थी, प्रतिक्रिया उतनी ही अधिक सशक्त थी। मस्तिष्क की गतिविधि विशेष रूप से तब बढ़ गई जब प्रतिभागियों ने उन अपरिचित भाषाओं को सुना जो उनकी भली-भांति परिचित भाषा से मिलती-जुलती थीं। ऐसा इसलिए हुआ होगा क्योंकि मस्तिष्क ने भाषाओं की बीच समानता के आधार पर अर्थ समझने के लिए अतिरिक्त काम किया होगा।

एक अपवाद भी मिला: अपनी मातृभाषा सुनने पर प्रतिभागियों का भाषा नेटवर्क अन्य परिचित भाषाओं की तुलना में शांत दिखा; ऐसा तब भी दिखा जब प्रतिभागी अन्य परिचित भाषाओं पर अच्छी पकड़ रखते थे। बायोआर्काइव्स नामक प्रीप्रिंट में शोधकर्ता बताते हैं कि इससे लगता है कि शुरुआती जीवन (बचपन) में सीखी गई भाषाओं को प्रोसेस करने में मस्तिष्क को कम मेहनत करनी पड़ती है।

यह देखा गया है कि किसी कार्य में महारत हासिल होने पर उसे करने में दिमाग को कम मशक्कत करनी पड़ती है। तो संभावना है कि भाषा के मामले में भी ऐसा हो। इस बात की भी संभावना दिखती है कि कम उम्र में सीखने पर संज्ञानात्मक दक्षता चरम तक पहुंच सकती है। चूंकि ये परिणाम विशुद्ध रूप से वर्णनात्मक हैं, इसलिए निष्कर्ष अभी भी अस्थायी हैं।

हालांकि कई पॉलीग्लॉट्स और हायपरपॉलीग्लॉट्स भाषा सीखने में किसी विशेष प्रतिभा के धनी होने से इन्कार करते हैं। लेकिन फिर भी शोधकर्ता देखना चाहते हैं कि पॉलीग्लॉट्स कैसे इतनी भाषाएं सीख लेते हैं, जो अन्य लोगों को मुश्किल लगता है। क्या यह जन्मजात है, या सिर्फ दिलचस्पी या मौका मिलने की बात है। भाषा सीखने की क्रिया को समझने से स्ट्रोक या मस्तिष्क क्षति के बाद लोगों को फिर से भाषा सीखने में बेहतर मदद दी जा सकती है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adh0055/abs/_20230202_on_polyglots.jpg

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