सी. आर. राव को गणित का नोबेल पुरस्कार – मनीष श्रीवास्तव

भारतीय—अमेरिकी गणितज्ञ और सांख्यिकीविद सी. आर. राव (कल्यामपुडी राधाकृष्ण राव) को वर्ष 2023 के अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई है। इसे गणित का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है। पुरस्कार के लिए उनके नाम की घोषणा करते हुए इंटरनेशनल प्राइज़ इन स्टैटिस्टिक्स फाउंडेशन द्वारा कहा गया कि “वे गणित विज्ञान की दुनिया के लेजेंड है। उन्होंने लगभग 75 वर्ष पहले अपने काम के ज़रिए सांख्यिकी के क्षेत्र में क्रांति ला दी थी।” यह पुरस्कार हर दो साल में पांच प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से प्रदान किया जाता है।

आज उन्हीं राव को जुलाई माह में कनाडा के ओटावा शहर में आयोजित होने वाली विश्व सांख्यिकी कांग्रेस में पुरस्कार सहित 80 हज़ार अमेरिकी डॉलर की सम्मान राशि से सम्मानित किया जाएगा। आइए, सी. आर. राव से परिचय करें।

सी. आर. राव का जन्म कर्नाटक की हदगली नाम की जगह पर एक तेलुगु परिवार में 10 सितंबर 1920 को हुआ था। राव ने अपनी आरंभिक और उच्च शिक्षा आंध्रप्रदेश के गुदुर, नंदीगामा और विशाखापट्टनम में प्राप्त की। अध्ययन में गहरी रुचि रखने वाले राव ने गणित में एमएससी की और इसके बाद विशेष रूप से गणित की एक शाखा सांख्यिकी में एम.ए. किया। सांख्यिकी उनका प्रिय विषय रहा और इसी ने अंतत: उन्हें गणित का नोबेल सम्मान दिलाया।

भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी वे गंभीरता से अध्ययन करते रहे और इंग्लैण्ड जाकर कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी के किंग्स कॉलेज से पीएच. डी. तथा बाद में कैम्ब्रिज से ही डीएससी की उपाधि प्राप्त की। इस तरह वे अपने ज्ञान के स्तर को उच्चतर आयाम तक लेकर गए और गणित विज्ञान के क्षेत्र में बेहद सम्मान पाया।

ज्ञानार्जन करते हुए राव ने समय—समय पर विविध संस्थानों में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और फिर मानव विज्ञान संग्रहालय (कैम्ब्रिज) में सेवाएं दीं। इसके बाद अध्यापन करते हुए पिट्सबर्ग युनिवर्सिटी में प्रोफेसर और एबर्ली प्रोफेसर रहने के साथ ही अमेरिका के पेनसिल्वेनिया राज्य के एक एनालिसिस सेंटर के निदेशक पद पर रहकर कार्य किया। फिलहाल वे पेनसिल्वेनिया स्टेट युनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर सेवाएं दे रहे थे।

राव ने कम उम्र में ही अपने ज्ञान के उच्चतर स्तर से सभी को चकित कर दिया था। उन्होंने अध्ययन करते समय मात्र 25 वर्ष की आयु में ही महत्वपूर्ण शोध पत्र कलकत्ता मेथेमेटिकल सोसायटी के बुलेटिन में Information and accuracy attainable in the estimation of statistical parameters (सांख्यिकीय मापदंडों के अनुमान में पाने योग्य सूचना व सटीकता) प्रकाशित किया था। इस पेपर के महत्व का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे स्टैटिस्टिक्स की महत्वपूर्ण पुस्तक ब्रेकथ्रूस इन स्टैटिस्टिक्स 1890—1990 में शामिल किया गया था। उनके इस शोध ने आधुनिक सांख्यिकी की स्थापना में विशेष योगदान दिया। उनकी महत्वपूर्ण खोजों ने न सिर्फ सांख्यिकी को प्रभावित किया बल्कि भू-गर्भविज्ञान, चिकित्सा, जैवमिति सहित उन सभी क्षेत्रों को लाभ पहुंचाया, जिनमें किसी न किसी तरह से सांख्यिकी का उपयोग होता है।

गणित का नोबेल सम्मान मिलने से पहले ही राव कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। भारत सरकार द्वारा उन्हें 1968 में पद्म भूषण और 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। वे शांति स्वरूप भटनागर विज्ञान और प्रौद्योगिकी पुरस्कार (1963), नेशनल मेडल ऑफ साइंस सम्मान (2002) प्राप्त करने के साथ ही रॉयल सोसायटी के फेलो (1967) भी रह चुके हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया उन्हें 10 महान भारतीय वैज्ञानिकों में शुमार कर चुका है। आज उनकी उम्र 100 वर्ष से ज़्यादा है और आज भी वे सामाजिक जीवन में  सक्रिय हैं। अपनी ऊर्जा और विशिष्ट कार्यों के चलते वे वैश्विक प्रेरणास्रोत बन गए हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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